भारत में बेरोजगारी की समस्या और उपाय पर निबंध
आज हम बेरोजगारी की समस्या और उसके समाधान पर निबंध लेख लिखने जा रहे है। हम इस निबंध मे बेरोजगारी की समस्या और उसके समाधान तथा उसके कारण पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हम उम्मीद करते है कि ये लेख आप लोगो के लिए लाभकारी होगा।
विचार बिंदु
प्रस्तावना
बेरोजगारी से अभिप्राय
भारत में बेरोजगारी का स्वरूप
बेरोजगारी का कारण
समस्या का समाधान
उपसंहार
प्रस्तावना
मनुष्य की सारी गरिमा , जीवन का उत्साह , आत्म-विश्वास व आत्म-सम्मान उसकी आजीविका पर निर्भर करता है । बेरोजगार व्यक्ति से बढकर दुर्भाग्यशाली , दयनीय और दुर्बल कौन होगा? उसके समस्त गुण , अवगुण कहलाने लगते है। उसकी छोटी भूलें भी अपराध घोषित हो जाती है। इस समय विस्फोटक और विकराल समस्या बेरोजगारी की है। बेरोजगारी से लोगों की आर्थिक स्थिति भी बिगड जाती है।
बेरोजगारी से अभिप्राय
बेरोजगार व्यक्ति उसे कहते है जो शारीरिक रूप से कार्य करने मे समर्थ होने पर भी तथा कार्य करने का इच्छुक होने पर भी उसे प्रचलित मजदूरी की दर पर कोई कार्य न मिलता हो।कुछ व्यक्ति तो कार्य करने को तैयार है परंतु उन्हें रोजगार प्राप्त नही होता। किसी किसी को तो किसी क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक व्यक्तियों को कार्य पर रहने से रोजगार नही मिलता और कुछ तो पढाई न करने की वजह से रोजगार से वंचित रह जाते है।
भारत मे बेरोजगारी का स्वरूप
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में दूसरे स्थान पर है । भारत में बेरोजगारी दूसरे देशों से भिन्न है।यहां पर संघर्षात्मक बेरोजगारी बहुत ही भीषण रूप से फैली हुई है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां पर लगभग 70 % जनता गांव में निवास करती है। जिन लोगों का मुख्य व्यवसाय केवल कृषि ही है।कृषि में सामयिक तथा मौसमी रोजगार प्राप्त होता है। कृषि व्यवसाय में संलग्न जनसंख्या का अधिकांश भाग चार से छः महीने तक एक प्रकार से बेरोजगार ही रहते है। इसी प्रकार भारत में गांवों में संघर्षात्मक बेरोजगारी अपने भीषण रूप से विद्यमान है या फैला हुआ है।
समस्या का समाधान
सबसे पहली आवश्यकता है कि हस्तोद्योगों को बढावा दिया जाए इससे स्थानीय या लोकल प्रतिभा को उभरने का सुअवसर प्राप्त होगा। बेरोजगारी की समस्या का मुख्य कारण जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि है।जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी को बढावा देने में सहायक है। हमारे देश की जनसंख्या में 2001 से लेकर 2011 तक लगभग 18 करोड की वृद्धि हुई है। इसमें आवश्यकता है कि सरकार ऐसे कदम उठाए जिससे जनसंख्या में इस प्रकार की वृद्धि पर रोक लगाया जा सके ।
उपसंहार
निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते है कि बेरोजगारी ऐसी समस्या है जिसे हल किया जा सकता है। यह समस्या हमारे द्वारा ही पैदा की गई है इसीलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम जनसंख्या पर रोक लगाने के प्रति जागरुक हो और बेरोजगारी के प्रति सरकार जो योजनाएं लागू करे हम उनका सम्मान करे और उसमे सरकार का समर्थन करें। क्योंकि अगर बेरोजगारी इसी प्रकार बढती रही तो इससे हमारे देश पर बहुत बुरा प्रभाव पडेगा|
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