आज हम प्रदूषण की समस्या या Pollution Problem पर निबंध लिखने जा रहे हैं । इस निबंध मे हम पर्यावरण प्रदूषण और उसके समाधान पर विस्तार से चर्चा करेंगे । आशा है कि पर्यावरण प्रदूषण पर यह निबंध आप लोगों के लिए लाभकारी होगा। वो बिंदु जिनपर हम चर्चा करेंगे ।
प्रमुख विचार बिंदु
1-प्रस्तावना
2-प्रदूषण का अर्थ
3-प्रदूषण के प्रकार
4-प्रदूषण की समस्या और उनसे हानियां
5-समस्या का समाधान और
6-उपसंहार
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान निबंध हिंदी में।(Pollution Problem and Solution Essay in hindi )
जो हमारे चारों ओर है वही हमारा पर्यावरण है । आज की प्रमुख आवश्यकता है कि पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढे । क्योकि आज हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है । प्राचीन और मध्यकालीन युग के लिए प्रदूषण की समस्या अज्ञात थी । आज के समय में यह समस्या औद्योगिक प्रगति और शस्त्रों - अस्त्रों की प्रगति के कारण उत्पन्न हुई है ।
1- प्रस्तावना
पर्यावरण प्रदूषण ने आज के समय में इतना विशाल रूप ले लिया है ।आज की प्रमुख आवश्यकता है कि पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढे । क्योकि आज हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है । मानव जीवन मुख्यतः स्वच्छ वायु और स्वच्छ जल पर निर्भर है । लेकिन यदि ये दोनो चीजें दूषित हो जायें तो मानव अस्तित्व को ही भय पैदा होना स्वाभाविक है । परन्तु हम इस समस्या पर विचार करेंगे तो वह मानव मात्र के हित मे है। रॉबर्ट कोच ने कहा है कि `अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब मनुष्य को स्वास्थ्य के सबसे बडे शत्रु के रूप में निर्दयी शोर से संघर्ष करना पडेगा।"
2- प्रदूषण का अर्थ
अगर वातावरण स्वच्छ है तभी हमारे जीवन का विकास संभव है । पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है । प्रकृति के द्वारा जो पर्यावरण हमे दिया गया है वही हमारे अनुकूल है । जब इस पर्यावरण मे किन्ही तत्वों का अनुपात इस तरह बढनें लगता है , जिसका जीवधारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पडने की संभावना होती है । उसे हम कहते है कि पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है । यह प्रदूषित वातावरण जीवधारियों को अनेक प्रकार से हानिकारक होता है । जनसंख्या की असाधारण वृद्धि और औद्योगिक प्रगति ही इसका मुख्य कारण है । आज इसने इतना भयानक रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है । Pollution Essay in hindi
3- प्रदूषण के प्रकार
आज के वातावरण में प्रदूषण निम्नलिखित रूपों में दिखाई देता है --
(क) वायु प्रदूषण
(ख) जल प्रदूषण
(ग) ध्वनि प्रदूषण
(घ) रेडियोधर्मी प्रदूषण
(ड.) रासायनिक प्रदूषण
(क) वायु प्रदूषण
वायु हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य स्रोत है । प्रत्येक जीव को स्वस्थ रूप से जीने के लिये शुद्ध और स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। वायु मण्डल में इसका विशेष अनुपात होना आवश्यक है। सभी जीवधारी सांस द्वारा ऑक्सीजन लेते हैं और कॉर्बन -डाइऑक्साइड छोडते है। पेड पौधे कॉर्बन -डाइऑक्साइड लेते है और हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं । इस प्रकार वायुमण्डल की शुद्धता बनी रहती है । लेकिन मनुष्य के स्वार्थी प्रवृत्ति और अज्ञानता के कारण आज वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है । इससे वायु मे ऑक्सीजन का संतुलन बिगड रहा है। और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गई है जो फेफडों के लिए अत्यंत हानिकारक है। essay on pollution
(ख) जल प्रदूषण
जीवन के अनिवार्य स्रोत के रूप में वायु के बाद जल की आवश्यकता होती है । जल को जीवन कहा जाता है । जल का स्वच्छ और शुद्ध होना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है । देश के प्रमुख नगरों के जल का स्रोत हमारी सदानीरा नदियां है। फिर भी हम देखते है कि हमारी नदियां स्वच्छ नही रहती है। बहुत से गंदे नालों और कारखानों के गंदे जल को नदी से जोड दिया जाता है। इसलिए हमारी नदियो के जल मे प्रदूषण बढता जा रहा है ।
पोखरों , तालाबों , नदियों मे जानवरों को नहलाना तथा मनुष्यों या जानवरों के मृत शरीर या लाशों को जल मे प्रवाहित करना आदि ने जल - प्रदूषण में बहुत वृद्धि की है। कारखानो का कचरा नदियो और जल के स्रोतों को प्रदूषित करता हुआ सागर तक पहुंच रहा है।
(ग) ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण आज के समय में एक नई समस्या है । यह समस्या वैज्ञानिक प्रगति द्वारा पैदा हुई है। मोटर कार ट्रैक्टर , जेट विमान, कारखानों के सायरन तथा लाउड स्पीकर आदि ध्वनि के संतुलन को बिगाडकर ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं । तेज ध्वनि सुनने की वजह से सुनने की शक्ति क्षीण हो जाती है । और कार्य करने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पडता है। इससे अनेक प्रकार की बीमारियां भी उत्पन्न हो जाती है । अत्यधिक ध्वनि-प्रदूषण से मानसिक शक्ति का भी नुकसान हो सकता है।
(घ) रेडियोधर्मी प्रदूषण
आज के समय में वैज्ञानिक परीक्षणों का जोर है। परमाणु परीक्षण निरंतर होते रहते है। इनके विस्फोट होने से रेडियो धर्मी पदार्थ हमारे वायु मण्डल में फैल जाते हैं। और अनेक प्रकार से जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी जापान मे जो परमाणु बम गिराये गये थे। उनसे लाखों लोग अपंग हो गये थे , तथा उनसे आने वाली आगे की पीढी भी इस हानिकारक प्रभाव से अभी भी अपने को बचा नही पायी है।
(ड.) रासायनिक प्रदूषण
कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट द्रव्यों के अतिरिक्त उपज में वृद्धि की दृष्टि से प्रयुक्त कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। ये पदार्थ जल के साथ बह जाते है और नदियों, तालाबों और अंततः समुद्र में पहुंच जाते हैं । और हमारे जीवन को अनेक प्रकार से हानि या नुकसान पहुंचाते है।इसके अलावा ये पदार्थ हमारे श्वसन तंत्र द्वारा हमारे शरीर के अंदर जाकर हमारे शरीर को क्षति पहुंचाते हैं।
4-प्रदूषण की समस्या तथा उससे हानियां
रेगिस्तान का बढते जाना , भूमि का कटाव , निरन्तर बढती जनसंख्या , ओजोन परत का सिकुडना , वनों का विनाश , धरती के तापमान में वृद्धि तथा औद्योगीकरण ने विश्व सम्मुख प्रदूषण की समस्या पैदा कर दी है । कारखानों के धुएं से , जहरीली गैसों के रिसाव तथा विषैले कचरे के बहाव से आज मानव जीवन समस्या ग्रस्त हो गया है। आज तकनीकी ज्ञान के बल पर मानव विकास की दौड में एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड मेंलगा हुआ है। इस होड में वह तकनीकी ज्ञान का ऐसा गलत उपयोग हो रहा है। जो सम्पूर्ण मानव जाति के लिए विनाश का कारण बन सकता है। युद्ध मे आधुनिक तकनीकों पर आधारित मिसाइलों और प्रक्षेपास्त्रों ने जन धन की अपार क्षति तो की ही है साथ ही पर्यावरण पर भी घातक प्रभाव डाला है । जिसके परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य मे गिरावट , उत्पादन मे कमी और विकास प्रक्रिया मे बाधा आयी है । वायु प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर पडता है । तथा प्रदूषित जल की वजह से मुख्य रूप से पाचन तंत्र से संबंधी रोग उत्पन्न होते है ।
5-समस्या का समाधान
नीति निर्माताओं और महान शिक्षाविदों ने इस समस्या की ओर गंभीर तरीके से ध्यान दिया है । आज विश्व का प्रत्येक देश इस ओर सजग है । वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। मानव को चाहिए कि वह वृक्षों और वनों को कुल्हाडियों का निशाना बनाने के अलावा उन्हें फलते-फूलते देखे तथा सुंदर पशु पक्षियों को अपना भोजन बनाने के बजाय उनकी सुरक्षा के बारे मे सोचे। साथ ही भविष्य के प्रति आतंकित , आशंकित होने से बचने के लिए सबको देश की असीमित बढती जनसंख्या को सीमित करना होगा, जिससे उनकी सुविधाओं के लिए वनों की कटाई न करना पडे । कारखानो का धुआं और गंदा पानी निकालने के समुचित व्यवस्था करनी होगी । परमाणु परीक्षणो को कम करने का प्रयास किया जाय तो इस समस्या का समाधान निकल सकता है।
6- उपसंहार
पर्यावरण मे होने वाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए समस्त विश्व मे एक नयी चेतना उत्पन्न हुई है हम सभी का दायित्व है कि चारो ओर बढते इस प्रदूषित वातावरण के खतरों के प्रति सचेत हों तथा पूर्ण मनोयोग से संपूर्ण परिवेश को स्वच्छ व सुंदर बनाने का प्रयत्न करें । वृक्षारोपण का कार्यक्रम सरकारी स्तर पर जोर शोर से चलाया जा रहा है। तथा वनों की अनियंत्रित कटाई को रोकने के लिये भी कठोर नियम बनाये गये हैं। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे है कि नये वन क्षेत्र बनाए जाएं और जन सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाए । इधर न्यायालय द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को महानगरों से बाहर ले जाने के आदेश दिए गए है तथा नए उदयोगों को लाइसेंस दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था कर पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करने को अनिवार्य कर दिया गया है। यदि जनता भी अपने ढंग से इन कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दे और यह संकल्प ले कि जीवन में आने वाले प्रत्येक शुभ अवसर पर कम-से-कम एक वृक्ष अवश्य लगाएगी तो निश्चित ही हम प्रदूषण के दुष्परिणामों से बच सकेंगे और आने वाली पीढी को भी इसकी काली छाया से बचाने मे समर्थ हो सकेंगे ।
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